Wednesday, May 12, 2010

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानस चून।
ओ। मेरे भैया पानी दो। पानी दो
पानी दो गुड़धानी दो, जलती है धरती पानी दो,
मरती है धरती पानी दो, मेरे भैया पानी, दो।

अंकुर फूटे रेत मां, सोना बरसे खेत मां,
बेल पियासा, भूखी गैया, फुदके न अँगना सोनचिरैया,
फसल बुवैया की उठे मड़ैया, मिट्टी को चूनर धानी दो।
ओ मेरे भैया। ओ मेरे भैया ........(नीरज)

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