Tuesday, July 6, 2010

kisi dharam ki burai nahi karni chahiye . lekin jo baat sahi hai use sahi hi kehna chahiye .tatha jo galat hai use galat kehne main koi burai nahi hai.

Sunday, July 4, 2010

tathya aur nishkarsha

क्या हम राष्‍ट्रमंडल खेलो के आयोजक है !!!

राष्‍ट्रमंडल खेलो को लेकर भारत सरकार ने जो तैयारियों का प्रदर्शन विश्‍व समुदाय से सम्‍मुख किया उसी का नतीजा है कि आई ओ सी के अध्‍यक्ष जैक्स रॉग्‍स ने भारतीय खेल आधिकारियों के मुँह पर तैयारियों के झूठ का गुब्‍बारा की हवा दो मिनट मे निकाल दी। जैक्‍स ने कड़े शब्‍दो मे ढ़ीली तैयारियों की अपत्ति आईओए अध्‍यक्ष सुरेश कलमाड़ी से कर चुके है। उन्‍होने साफ-साफ शब्‍दो मे कहा है कि आप खिलाडि़यो को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओ को भी अभी तक पूरा नही कर सके है। मुझे इस बात से याद आता है कि दो वर्ष पूर्व चीन की राजधानी बींजिंग मे होने वाली ओलम्पिक खेलो की तैयारी का जयाजा लेने वाले प्रतिनिधि मंडल ने चीन सरकार के काम पर आश्‍चर्यजनक ढ़ग से एक आग्रह किया कि आप कृपया करके कामो इतने तेजी से मत निपटाईये कि आपके द्वारा बनवाये गये स्‍टेडियम, खेल हॉल व अन्‍य खेल परिसर तत्‍कालीन समय पर पुराने लगने लगे। इस प्रकार दो विश्‍व के सबसे बड़े विकाससील राष्‍ट्रो के कार्य सम्‍पन्‍नता मे कितनी भिन्‍न देखी जा सकती है। एक ओर तो समय समय पूर्व काम खत्‍म हो जा रहा है जबकि दूसरी ओर खेल का आयोजन मुहाने पर खड़ा है और दूसरी तरह सरकार की हीला हवाली और लीपा पोती ही देखी जा रही है। इतने बड़े खेल का आयोजन हम 4 साल पूर्व हमें मिल चुका था किन्‍तु हमारी कुम्‍भकरणीय नींद तथा काम के प्रति तत्‍परता सबके सम्मुख है कि विदेश से आने वाले आधिकारी खरी खोटी सुनाकर चले जा रहे है। मुझे हंसी आती है कि जब हम 2016 के ओलम्‍पिक खेलो लिये अपनी दावेदारी भारत सरकार और सुरेश कलमाड़ी पेश कर रहे थे।
भारतीय सरकारी कार्य करने रवैया जग जाहिर है, जब तक कि बाराज दुआर पर आ न जाये तब तब दु‍ल्‍हन की सजावट करने वाली परच‍ारिकाऍं गायब रहती है। अब जब कि बारात रूपी खेलो के आयोजन का समय नजदीक आ चुका है तब इस काम को करने की अंधी दौड मे दिल्‍ली सरकार लोगो के जान जोखिम मे डाल कर कार्य पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी का परिणाम है‍ कि दिल्‍ली मेट्रो के विस्‍तार के समय अनेक बार बड़ी तथा अनगिनत छोटी-मोटी र्दुघटनाऍं कार्य के समय होती रही है और इसके परिणाम स्‍वरूप गरीब मजदूर अपनी जान गवां रहे है। इस अपाधापी मे बनने वाले मेट्रो के फ्लाईओवर व स्‍टेशन निर्माण की गुणवत्‍ता पर भी प्रश्‍न चिन्‍ह उठ रहा है कि निर्माण के दौरान यह स्थिति है तो तब खेलो के दौरान आने वाली महाकुम्‍भी भीड़ को क्‍या होगा? गौरतलब है कि जिस कम्‍पनी के संरक्षण मे ढा़चा गिरा, क्रेन पलटी तथा मजूदूरो की मौत हुई उस कम्‍पनी को काली सूची मे डालने के बजाये मानो कार्य विस्‍तार देकर उसे र्दुघटना का पुरस्‍कार दिया जा रहा है।

आज किसी भी खेलो के आयोजन मे सबसे बड़ी कमजोरी हमारी सुरक्षा व्‍यवस्‍था प्रतीत होती है, भले ही विश्व समुदाय के सम्‍मुख भारत के गृहमंत्री चिदम्‍बरम इंग्‍लैंड की बैडमिन्‍टन टीम के भारत दौरे को रद्द करने के जबावी कार्यवाही करत हुये बैडमिन्‍टन का मैच देखने के लिये दर्शन दीर्घा मे जा पहुँचे और मैच के बाद खीस निपोरते हुये वक्तव्‍य देते है कि इग्‍लैंड की बैडमिन्‍ट टीम को भारत का दौरा करना चाहिये था भारत का सुरक्षा तंत्र देखो कितना मजबूत है मै भी आम दर्शक बन कर मैंच देख रहा हूँ किन्‍तु यही चिदम्‍बरम यह भूल जात है कि आईपीएल 2009 के दौरान चुनाव के दौरान सुरक्षा न दे पाने का हवाला देते हुये आयोजन को आईपीएल के समय सीमा को 3 माह के लिये टालने की बात की थी किन्‍तु आईपीएल के आयोजको ने इसे स्‍थान्‍तरित कर दक्षिण आफ्रिका मे आयोजित करवाया, इससे तो विश्‍व समुदाय के समाने सुरक्षा को लेकर जो छवि गई वो आज भी देखने को मिल रही है और इसके साथ ही साथ भारत‍ीय धन विदेश गया सो अलग। आईपीएल 2010 भी सरकार की गरिमा पर चार चॉद लगाया लेलंगाना मुद्दे पर आंध्रप्रदेश मे होने वाले मैचों को सुरक्षा के नाम पर नागपुर और मुम्‍बई मे ठेल दिया गया। जयपुर मे बम विस्‍फोट के कारण इंग्लैड क्रिकेट टीम ने 7 एक दिवासयीस मैचों की श्रृंखला को सुरक्षा का हवाला देते हुये 5 मैच खेल कर ही स्‍वदेश रवाना हो गई और भारतीय सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर गृहमंत्री बयान पर विश्‍व समुदाय ताली बजाकर उनके बड़बोले पन का परिहास कर रहा था। यह तो केवल बानगी मात्र ही है‍ किन्‍तु हालिया घटनओ ने भारत की सुरक्षा व्‍यावस्‍था को तार-तार कर दिया है जिस प्रकार छत्तीसगढ़ और बंगाल मे नक्‍सली और बिहार और झारखंड मे माओवादी अपना कहर बरपा रहे है उनके इन मंसूबे से राष्‍ट्रमंडले सु‍रक्षित नही प्रतीत हो रहो है कि कब ये तत्‍व दिल्‍ली पर हमला न हो।